Jawahar Tunnel – हिमालय पर्वत के प्रमुख दर्रे, हिमालय, जो पश्चिम में काराकोरम से पूर्व में नामचे बरवा तक फैला है, लगभग 2400 किमी लंबा और 400 किमी चौड़ा है। यह पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन से होकर गुजरती है। भारतीय हिमालयी चाप केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लद्दाख और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश राज्यों से होकर गुजरता है। भारत और हिमालय में महत्वपूर्ण पर्वतीय दर्रे (Important Mountain Passes In India and The Himalayas in Hindi) नीचे सूचीबद्ध हैं:
अघिल दर्रा (Aghil Pass-Karokornam-Ladakh):
- Jawahar Tunnel – हिमालय पर्वत के प्रमुख दर्रे काराकोरम पर्वत श्रेणी k2 के उत्तरी भट में सागर स्तर से लगभग 500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अधिल एक मह्त्वपूर्ण दर्रा हैं
- तो जो लदाख को चीन के सिंकिगहांग राज्य के नगरों से जोड़ता हैं।
बनिहाल दर्रा (Jawahar Tunnel):
- समुद्र तल से लगभग 2835 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बनिहाल दर्रा जम्मू नगर को श्रीनगर से जोड़ती हैं।
- शीत ऋतू में यह दर्रा प्राय: बर्फ से ढक्का जाता हैं।
- साल भर सड़क परिवहन की व्यवस्था करने के उद्देश्य से यहाँ जवाहर सुरंग (Jawahar Tunnel) का निर्माण किया गया हैं।
- इस सुरंग का नाम के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू के नाम पर रखा गया था।
- Jawahar Tunnel – हिमालय पर्वत के प्रमुख दर्रे इस सुरंग का उद्घटन दिसम्बर 1956 में किया गया था।
बारालाचा दर्रा (Bara Lacha Pass):
- दर्रा सागर स्तर से लगभग 4843 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बारा – लाचा दर्रा, हिमाचल प्रदेश को लदाख से जोड़ता हैं।
- मनाली से लेह को जाने वाला राजमार्ग इसी दर्रे से गुजरता हैं।
- शीत ऋतू में नवंबर से मई के आरम्भ तक यह दर्रा प्रायः बर्फ के कारण आवागमन के लिए बंद रहता हैं।
बोमडीला (Bomdi La):
- भूटान के पूर्व में अरुणाचल प्रदेश राज्य के पश्चिम भाग में स्थित एक प्रमुख दर्रा हैं जो भारत को ल्हासा से जोड़ता हैं।
- सागर स्तर से इसकी ऊंचाई लगभग 2600 मीटर हैं।
- 1959 में धर्म गुरु दलाई लामा इसी रस्ते से दाखिल हुआ था। शीत ऋतू में इसी दर्रे पर प्रायः बर्फ पड़ती हैं।
छांगला (Chang-La):
- सागर स्तर से लगभग पांच हजार मीटर से ऊँचा हैं। यह दर्रा लदाख को तिब्बत से जोड़ता हैं।
- छांगला दर्रे को पार करने वाली सड़क अति तीव्र ढलानों से होकर गिजऱती हैं।
- इस दर्रे का नामकरण \\\’ चांगला बाबा \\\’ के मंदिर के नाम पर किया गया था।
- शीत ऋतू में बर्फ से ढके रहने के कारण इस दर्रे पर परिवान में बाधा अति हैं।