Early Structure of the British Raj – PART-1 ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना के बारे में बात करते समय, हम भारतीय इतिहास की दो बड़ी चरणों की ओर देख सकते हैं:
प्रारंभिक संरचना (1600 ईसा पूर्व – 1757 ईसा पूर्व):
- Early Structure of the British Raj – PART-1 1600 ईसा पूर्व में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई, जो कि वस्तुसंग्रहण और व्यापार के लिए भारत में आई थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य वस्तुसंग्रहण, व्यापार, और विपणि के लिए आयात और निर्यात था।
- ब्रिटिश इंडिया कंपनी के अधिकारी, जिन्हें कंपनी के बराबरी के साथ \\\”दिवान\\\” कहा जाता था।
- विभिन्न भारतीय राज्यों के साथ व्यापार समझौतों को स्थापित करने लगे।
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने स्थानीय उपाधियों को अधिकारी और
- दिवान के रूप में अपने प्रशासनिक स्ट्रक्चर में शामिल किया, जिनका उद्देश्य स्थानीय राज्यों के नियमन और सम्प्रशासन था।
- इस दौरान, कंपनी ने भारतीय दरबारों के साथ समझौते करने के बाद अपना प्रभाव बढ़ाते गए और विभिन्न भागों में अपना शासन स्थापित किया।
ब्रिटिश साम्राज्य का आगमन (1757 ईसा – 1947 ईसा):
- Early Structure of the British Raj – PART-1 ब्रिटिश साम्राज्य का प्रारंभिक आगमन 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद हुआ।
- जिसमें ब्रिटिश इंडिया कंपनी ने बेंगल के नवाब को हराया।
- इसके बाद, कंपनी ने भारतीय सब-साम्राज्यी व्यापार में अपना आदिकार बढ़ाया।
- 1858 में, ब्रिटिश क्राउन ने भारत के प्राशासन का नियंत्रण स्वयं पर लिया और इसे ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बना दिया।
- ब्रिटिश साम्राज्य के तहत, भारत के विभिन्न भागों में प्रशासनिक और सैन्य संरचना को स्थापित किया गया और ब्रिटिश साम्राज्य के नियमों का पालन किया गया।
ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना
- भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा था और यह भारत में ब्रिटिश शासन के प्रारंभिक दिनों की चर्चा करता है।
- ब्रिटिश राज का प्रारंभ भारत में 17वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था और यह विभिन्न चरणों में विकसित हुआ।
इसकी प्रमुख घटनाएं निम्नलिखित हैं:
- ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना (1600): ब्रिटिश राज का प्रारंभ भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा हुआ। कंपनी ने भारत में व्यापार की शुरुआत की और ब्रिटिश स्थायियों की समृद्धि के लिए यहां आने लगे।
- ब्रिटिश पर्लियामेंट द्वारा बनाई गई अधिनियम (1773): ब्रिटिश पर्लियामेंट ने भारत के प्रशासन को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष अधिनियम बनाया।
- जिसे पिट्स अक्ट (1773) कहा जाता है। इसके बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारतीय राज्यों के प्रशासन में हस्पताल और सिपाही सम्बंधित प्रशासन को संचालित किया।
- सिपाही मुतिनी (1857-1858): यह घटना ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीय सिपाहियों की एक प्रमुख विद्रोह था।
- इसका परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने भारत के प्रशासन को संशोधित किया और
- भारत को सुद्धारने के लिए विभिन्न प्राथमिक उपायों को अपनाया।
- क्वीन्सबेरी की प्रारंभिक संरचना (1877): इस समय, ब्रिटिश राज ने भारतीय सामाजिक और प्रशासनिक संरचना को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
- इसका एक प्रमुख प्रतीक था क्वीन्सबेरी का दिल्ली में उद्घाटन, जिसमें भारत के नायकों के नामों को दर्ज किया गया।
- मॉर्ले-मिंटो सुधार (1909): इस सुधार के द्वारा, भारत को स्थानीय आदर्शों के आधार पर स्वशासन की दिशा में कदम बढ़ाया गया।
- हालांकि यह केवल आंदोलनकारियों और नेताओं की मांगों के साथ ही सीमित था।
- जलियांवाला बाग में हत्या (1919): यह घटना ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीय आवाज की महत्वपूर्ण ताक़त बनी और
- गांधी जी जैसे नेताओं के आंदोलनों को प्रोत्साहित किया।
इन प्रमुख घटनाओं के परिणामस्वरूप,
- ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना ने भारतीय समाज और प्रशासन में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए और
- Early Structure of the British Raj – PART-1 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।
- ब्रिटिश राज का अंत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद 1947 में हुआ, जिससे भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बना।
इसका आरंभ 17वीं सदी में हुआ था,
- जब ब्रिटिश पूर्व कंपनी (इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी) ने भारत में व्यापार और आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत की।
- इसके बाद, ब्रिटिश साम्राज्य ने धीरे-धीरे भारत के विभिन्न हिस्सों को अपने अधीन किया और इसे अपना साम्राज्य बनाया।
यहां ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना की मुख्य विशेषताएँ हैं:
- ब्रिटिश पूर्व कंपनी: ब्रिटिश राज का आरंभ भारत में व्यापारिक उपस्थिति के रूप में हुआ था।
- ब्रिटिश पूर्व कंपनी के अधिकारी भारतीय राजा और राजाओं के साथ व्यापार करने के अधिकार प्राप्त करने लागे और धीरे-धीरे उनकी सत्ता बढ़ती गई।
- डिवान और डिवानी: ब्रिटिश राज ने भारतीय प्रशासन को अपनी संरचना में शामिल किया और
- एक साम्राज्यिक प्रशासन की शुरुआत की। इसमें डिवान और डिवानी की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
- Early Structure of the British Raj – PART-1 डिवान विभाग वित्तीय प्रशासन के लिए जिम्मेदार था,
- जबकि डिवानी विभाग न्यायिक और कानूनी मामलों के लिए जिम्मेदार था।
- गवर्नर जनरल: ब्रिटिश भारत के प्रमुख प्रशासक को \\\”गवर्नर जनरल\\\” कहा जाता था।
- पहला गवर्नर जनरल वारेन हैस्टिंग्स थे, जो 1773 से 1785 तक कार्यभार संभाले।
- गवर्नर जनरल के कार्यकाल के दौरान ही ब्रिटिश सत्ता को भारत में मजबूत किया और साम्राज्य का आधार रखा।
- सुबसिडियरी आलियंस: ब्रिटिश राज के अधीन स्थापित कुछ प्रशासनिक और सामरिक संरचनाएँ भी थीं,
- जैसे कि सुबसिडियरी आलियंस की स्थापना। इसका उद्देश्य था।
- अल्पसंख्यक ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा भारतीय साम्राज्य को प्रशासनित करना और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- द्वितीय अंग्रेज-मैसूर युद्ध (1790-1792) और तीसरे अंग्रेज-मैसूर युद्ध (1792-1799):
- इन युद्धों के दौरान, ब्रिटिश राज ने मैसूर सुलतान टिपू सुल्तान के खिलाफ जीत हासिल की और अपने प्रशासन का क्षेत्र बढ़ाया।
इसके बाद,
Early Structure of the British Raj – PART-1 ब्रिटिश राज का आरंभ हो गया और वे भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी सत्ता को स्थापित करने लगे। इसका परिणामस्वरूप, ब्रिटिश राज्य के नियमकाल के दौरान भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की प्रारंभिक संरचना विकसित हुई, जिसका पर्याप्त परिचय हमें भारतीय इतिहास के इस युग से मिलता है।
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