भारतीय संविधान

भारतीय सविधान 1757 ईस्वी की प्ले की लड़ाई और 1764 ईस्वी के बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिंकजा कसा। इसी शासन को अपने अनुकूल बने रखने के लिए अंग्रेजों ने समय समय पर कई एक्ट पारित किये, जो भारतीय सविधान … Read more

प्लासी का युद्ध

प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 को बंगाल के नवाब सिराज – उद – दौला की सेना और रोबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के बिच हुआ। सिराज उद दौला की सेना की संख्या लगभग 50,000 थी, तथा अंग्रेजों की सेना की संख्या मात्र 3,200 थी। परन्तु सिराज उद दौला के … Read more

समानता का अधिकार

समानता का अधिकार \” राज्य भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधिओं के सामान सरक्षण से वंचित नहीं करेगा\” विधि के समक्ष समता: अनुछेद 14 में कहा गया हैं कि राज्य भारत के राज्य में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधिओं के सामान सरक्षण … Read more

purtgali kon the पुर्तगाल का इतिहास

purtgali kon the पुर्तगाल का इतिहास भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज एवं पुर्तगालियों का आगमन यद्पि 15 वी शताब्दी में भारत में वास्को डा गमा के आगमन से कई शताब्दी पूर्व यूरोपीय यात्री आते रहे थे, लेकिन केप ऑफ गुड़ हॉप होकर जब वास्को डा गमा 17 मई, 1498 में कालीकट पहुंचा, तो … Read more

Major Passes – हिमालय पर्वत के प्रमुख दर्रे

Major Passes – हिमालय पर्वत के प्रमुख दर्रे Zoji LA सागर स्तर से लगभग 3850 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जोजिला श्रीनगर को लदाख के कारगिल एवं लेह नगरों को जोड़ता हैं। शीत ऋतू में बर्फबारी के कारण दिसंबर से अप्रैल तक आवागमन के लिए बंद रहता हैं। लिपुलेख दर्रा (Lipu-Lekh Pass): उत्तराखंड के पिथौरगढ़ … Read more

Jawahar Tunnel – हिमालय पर्वत के प्रमुख दर्रे

Jawahar Tunnel – हिमालय पर्वत के प्रमुख दर्रे, हिमालय, जो पश्चिम में काराकोरम से पूर्व में नामचे बरवा तक फैला है, लगभग 2400 किमी लंबा और 400 किमी चौड़ा है। यह पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन से होकर गुजरती है। भारतीय हिमालयी चाप केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लद्दाख और हिमाचल प्रदेश, … Read more

ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना के बारे में बात करते समय, हम भारत के इतिहास के विभिन्न दौरों की ओर देख सकते हैं। यह संरचना ब्रिटिश पूर्वी इंडिया कंपनी के आदिकाल से लेकर भारत के भूतपूर्व मुग़ल साम्राज्य के अधीन समय तक कई चरणों में विकसित हुई।

पूर्वी इंडिया कंपनी की स्थापना (1600):

  • ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना की शुरुआत ब्रिटिश पूर्वी इंडिया कंपनी की स्थापना से हुई।
  • इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य भारत में व्यापार करना था,
  • लेकिन धीरे-धीरे इसने भारतीय राज्यों पर अपना नियंत्रण बढ़ा लिया।

भर्ती और सेना का विकास:

  • इंग्लैंड ने भारत में अपनी सेना की बनाई और भर्ती कार्यक्रमों की शुरुआत की, जिससे वे अपना प्राधिकृत्य बढ़ा सकें।

द्वितीय स्वतंत्रता संग्राम (1857-1947):

  • 1857 की विद्रोह (जिसे सिपाही मुटिनी भी कहा जाता है) के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारतीय राज को सीधे अपने नियंत्रण में लिया और
  • ब्रिटिश राज की संरचना को और भी मजबूत बनाया।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम इस समय के दौरान घटे,
  • जिसमें गांधी जी की अहिंसा आंदोलन भी शामिल था।
मॉंटेग्यू-चेलम्सफ़ॉर्ड सुधार (1919):
  • इस सुधार के द्वारा, ब्रिटिश सरकार ने भारत में स्वशासन को कुछ हद तक बढ़ा दिया
  • ब्रिटिश राज और स्थानीय सामाजिक और राजनीतिक सुधार किए।
स्वतंत्रता संग्राम के बाद का संरचना (1947):
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप, ब्रिटिश सरकार ने 1947 में भारत से अपना शासन समाप्त किया और
  • भारतीय संघ को निर्मित किया, जिससे भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बना।
इस प्रकार,

ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना भारतीय इतिहास के विभिन्न चरणों में विकसित हुई और स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप, भारत स्वतंत्र होकर एक स्वतंत्र गणराज्य बना।

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British expansion in India – भारत में ब्रिटिश प्रसार

British expansion in India – भारत में ब्रिटिश प्रसार का सुरूप एक समय की बात है, जब ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था. ब्रिटिश प्रसार ने भारत में ब्रिटिश राज के दौरान समय के साथ विकसित हुआ और मीडिया और समाचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

All India Radio (ऑल इंडिया रेडियो):

  • ब्रिटिश प्रसार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा ऑल इंडिया रेडियो (AIR) था, जिसे 1930 में शुरू किया गया था.
  • यह भारत के विभिन्न हिस्सों में रेडियो प्रसारण करने का कार्य करता था
  • और लोगों तक न्यूज़, म्यूजिक, और कई अन्य प्रकार की जानकारी पहुंचाता था.

अखबार और मैगजीन (Newspapers and Magazines):

  • ब्रिटिश प्रसार के दौरान, अखबार और मैगजीन भी बड़े प्रसारण का हिस्सा बने थे.
  • इनमें से कुछ प्रमुख अखबार और प्रकाशक श्रीरंगम सादाशिव शास्त्री, अमृत बाजार पत्रिका, और ज़मीन्दार थे.

ब्रिटिश रेडियो और टेलीविजन (British Radio and Television):

  • ब्रिटिश रेडियो और टेलीविजन भी भारत में प्रसारित होते थे,
  • लेकिन यह अधिकांशत: हिन्दी, उर्दू, बंगाली, गुजराती, मराठी, पंजाबी, और
  • अन्य भाषाओं में सामाचार और मनोरंजन कार्यक्रम प्रसारित करते थे.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बाद,
  • ब्रिटिश प्रसार का नाम बदल गया और भारत सरकार ने भारतीय प्रसार और मीडिया को विकसित करने का काम किया.
  • इसके बाद, भारत में अपने प्रसारण और मीडिया क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, और
  • आजकल भारत में एक बड़ा और विविध मीडिया लैंडस्केप्स है,
  • जिसमें रेडियो, टेलीविजन, अखबार, मैगजीन, और इंटरनेट प्रसारण शामिल हैं
भारत में ब्रिटिश प्रसार

British expansion in India – भारत में ब्रिटिश प्रसार रतीय इतिहास में ब्रिटिश शासन के काल में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रायोगिक और स्थायी संचालित प्रसार प्रणालियों का उल्लेख हो रहा है। ब्रिटिश शासन भारत में 1858 से 1947 तक था, जिसके दौरान ब्रिटिश सरकार ने भारतीय मीडिया को अपनी प्रासंगिकताओं के आधार पर नियंत्रित किया और संचालित किया।

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भारत में यूरोप का आगमन

यूरोप का भारत में आगमन इतिहास में कई युगों तक व्यापक रूप से हुआ है, और इसके पीछे कई कारण और माध्यम हैं। निम्नलिखित कुछ मुख्य घटनाएं इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं:

ब्रिटिश राज:

सबसे प्रमुख यूरोपीय आगमन ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था।

  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीनस्थ ब्रिटिश राज्य के अंतर्गत, ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन भारत में यूरोपीय आगमन का विस्तार हुआ।
  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने विभिन्न भागों में अपने कार्यालय स्थापित किए और अपने कर्मचारियों को भारत भेजा।

पुर्तगालियों का आगमन:

  • पुर्तगाली सम्राट वास्को द गामा ने 1498 में कापे ऑफ गुड होप द्वारा भारत की पश्चिमी तट पर पहुंचा।
  • यह यूरोपीय आगमन का पहला महत्वपूर्ण उदाहरण था और इससे भारत और यूरोप के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ।

डच और फ्रेंच आगमन:

  • 17वीं और 18वीं सदी में, डच और फ्रेंच कंपनियों ने भी भारत में व्यापारी और साम्राज्यिक आगमन का प्रयास किया।
  • इसका परिणामस्वरूप कई यूरोपीय समृद्धि केंद्र, जैसे कि पड़र्बोर्न, कोच्चि, और पोंडिचेरी, की स्थापना हुई
पोर्टोगीज और फ्रेंच काबुलों:

18वीं और 19वीं सदी में, पोर्टोगीज और फ्रेंच व्यापारिक काबुलों ने भी भारत में आगमन किया और व्यापार किया।

सैरंक्स:
  • सैरंक्स, जो मौर्य, ग्रीक, रोमन, अरब, और यूरोपीय काबुलों के लिए एक महत्वपूर्ण तटीय बंदरगाह था, ने यूरोपीय आगमन को बढ़ावा दिया।
  • यह आगमन भारत के इतिहास, संस्कृति, और समृद्धि पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, और
  • यूरोप और भारत के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक आदान-प्रदान का माध्यम बना है।

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भारतीय साक्ष्य बिल, 2023

भारतीय साक्ष्य बिल, 2023 को लोकसभा में 11 अगस्त, 2023 को पेश किया गया। यह बिल भारतीय साक्ष्य एक्ट, 1872 को निरस्त करता है। यह एक्ट कानूनी कार्यवाही में साक्ष्यों की स्वीकार्यता (एडमिसिबिलिटी ऑफ एविडेंस) के लिए नियम प्रदान करता है। बिल में एक्ट के कई हिस्सों को बरकरार रखा गया है। यह एक्ट से कुछ औपनिवेशिक संदर्भों को हटाता है, साक्ष्य … Read more