British expansion in India – भारत में ब्रिटिश प्रसार का सुरूप एक समय की बात है, जब ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था. ब्रिटिश प्रसार ने भारत में ब्रिटिश राज के दौरान समय के साथ विकसित हुआ और मीडिया और समाचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
All India Radio (ऑल इंडिया रेडियो):
- ब्रिटिश प्रसार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा ऑल इंडिया रेडियो (AIR) था, जिसे 1930 में शुरू किया गया था.
- यह भारत के विभिन्न हिस्सों में रेडियो प्रसारण करने का कार्य करता था
- और लोगों तक न्यूज़, म्यूजिक, और कई अन्य प्रकार की जानकारी पहुंचाता था.
अखबार और मैगजीन (Newspapers and Magazines):
- ब्रिटिश प्रसार के दौरान, अखबार और मैगजीन भी बड़े प्रसारण का हिस्सा बने थे.
- इनमें से कुछ प्रमुख अखबार और प्रकाशक श्रीरंगम सादाशिव शास्त्री, अमृत बाजार पत्रिका, और ज़मीन्दार थे.
ब्रिटिश रेडियो और टेलीविजन (British Radio and Television):
- ब्रिटिश रेडियो और टेलीविजन भी भारत में प्रसारित होते थे,
- लेकिन यह अधिकांशत: हिन्दी, उर्दू, बंगाली, गुजराती, मराठी, पंजाबी, और
- अन्य भाषाओं में सामाचार और मनोरंजन कार्यक्रम प्रसारित करते थे.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बाद,
- ब्रिटिश प्रसार का नाम बदल गया और भारत सरकार ने भारतीय प्रसार और मीडिया को विकसित करने का काम किया.
- इसके बाद, भारत में अपने प्रसारण और मीडिया क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, और
- आजकल भारत में एक बड़ा और विविध मीडिया लैंडस्केप्स है,
- जिसमें रेडियो, टेलीविजन, अखबार, मैगजीन, और इंटरनेट प्रसारण शामिल हैं
भारत में ब्रिटिश प्रसार
British expansion in India – भारत में ब्रिटिश प्रसार रतीय इतिहास में ब्रिटिश शासन के काल में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रायोगिक और स्थायी संचालित प्रसार प्रणालियों का उल्लेख हो रहा है। ब्रिटिश शासन भारत में 1858 से 1947 तक था, जिसके दौरान ब्रिटिश सरकार ने भारतीय मीडिया को अपनी प्रासंगिकताओं के आधार पर नियंत्रित किया और संचालित किया।
कुछ मुख्य ब्रिटिश प्रसार क्षेत्र निम्नलिखित हैं:
- अखबार: ब्रिटिश सरकार ने अपनी प्रपागेंडा और समाचार को फैलाने के लिए अपने आधिकारिक अखबारों का उपयोग किया, जैसे कि \\\”The Times of India\\\” और \\\”The Indian Express\\\”. इन अखबारों में विचार-विमर्श, समाचार, और सरकारी संवाद शामिल थे।
- रेडियो: रेडियो का आदान-प्रदान भी ब्रिटिश सरकार के द्वारा किया गया था। ब्रिटिश सरकार द्वारा संचालित रेडियो स्टेशनें से विभिन्न प्रकार के सामाचार, मनोरंजन, और सार्वजनिक संवाद प्रसारित किए जाते थे।
- सिनेमा: ब्रिटिश सरकार ने सिनेमा को भी अपनी प्रपागेंडा का एक माध्यम माना और विभिन्न प्रकार की फिल्में बनवाई जिनमें उनके संदेश और मुद्दे शामिल थे।
- पत्रकारिता: ब्रिटिश सरकार ने पत्रकारों को भी अपनी निगरानी में रखा और प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाई।
इस तरह से,
ब्रिटिश प्रसार भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन पर भी अपना प्रभाव डाला और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, भारतीय मीडिया की स्वतंत्रता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी। 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद, भारतीय मीडिया ने अपनी स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त किया और अपनी बुनाई अपने नियमों और मूल्यों के आधार पर करने का मौका प्राप्त किया।
- भारत में ब्रिटिश प्रसार का तात्कालिक इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से जुड़ा हुआ है.
- ब्रिटिश प्रसार के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने भारत में अपनी आपकी प्रसार और संचालन की अनुमति दी थी, और
- यह प्रसार भारतीय समाज में विभिन्न प्रकार की प्रशासनिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक संदेशों को पहुंचाने का साधन था।
- ब्रिटिश प्रसार का मुख्य साधन था रेडियो, सिनेमा, और प्रिंट मीडिया।
- ब्रिटिश सरकार के द्वारा चलायी जाने वाली रेडियो और सिनेमा संचालन के माध्यम से विभिन्न प्रकार की संदेश और प्रोग्राम लोगों को पहुंचाई जाती थी।
- प्रिंट मीडिया के माध्यम से भी ब्रिटिश सरकार अपनी प्रतिक्रियाओं और संदेशों को लोगों तक पहुंचाती थी।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान,
- भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों और स्वतंत्रता संग्रामियों ने ब्रिटिश प्रसार के खिलाफ भी कई अद्भुत प्रतिरोध क्रियाएँ की।
- उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े संदेशों को प्रसारित किया और लोगों को स्वतंत्रता के लिए उत्साहित किया।
1947 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद,
- British expansion in India – भारत में ब्रिटिश प्रसार भारतीय सरकार ने ब्रिटिश प्रसार के प्रति अपनी नीतियों में बदलाव किया और भारतीय प्रसार का नियंत्रण भारतीय सरकार के हाथ में आया।
- इसके पश्चात्, भारत में अपने प्रसारी संगठनों की शुरुआत हुई, जैसे कि अकाशवाणी (All India Radio) और दूरदर्शन (Doordarshan)।
- ये संगठन अब भारतीय मीडिया के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और विभिन्न प्रकार की सामाजिक, सांस्कृतिक, और शैक्षिक संदेशों को लोगों तक पहुंचाते हैं।
निष्कर्ष:
इस तरह, ब्रिटिश प्रसार ने भारतीय समाज के विकास और रूप में महत्वपूर्ण योगदान किया है, और इसका प्रभाव आज भी भारतीय मीडिया के रूप में महसूस किया जा सकता है।
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