1857 की क्रांति

1857 की क्रांति भारत का पहला स्वतन्त्रता संग्राम ब्रिटिशों के विरुद्ध अनेक राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और सैनिकों के रोष के होने से हुआ। पहाड़ी राज्यों के लोग भारत के अन्य भागों के लोगों की तरह सक्रिय नहीं थे।

बुशहर के आलावा लगभग सभी लोग और उनके शासक क्रांति के समय निष्क्रिय रहे। उनमे से कुछ ने तो क्रांति के समय ब्रिटिशों का साथ भी दिया। इनमें चंबा, बिलासपुर, बग़ल, और धामी के शासक शामिल थे। बुशहर ने ब्रिटिशों के हितों के विरुद्ध प्रतिक्रिया दी हालाँकि यह स्पष्ट नही है की इन्होने क्रन्तिकरितों की सच में सहायता की या नहीं ।

ब्रिटिश साम्राज्य


  • पर्वतीय क्षेत्रों में ब्रिटिश सीमा रानी विक्टोरिया के 1858 की घोषणा के तहत ब्रिटिश राज के अंतर्गत आती थी।
  • ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान चंबा, 1857 की क्रांति मंडी और बिलासपुर की रियासतों ने बहुत तरक्की की।
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पहाड़ी रियासतों के लगभग सभी राजा ईमानदार रहे और
  • ब्रिटिश युद्ध के लिए इंसानों और सामग्री के रूप में योगदान दिया।
  • इन राज्यों में काँगड़ा, सिब्बा, नूरपुर, चंबा, सुकेत, मंडी और बिलासपुर शामिल थे।

आजादी के लिए संघर्ष


1857 की क्रांति पहाड़ी राज्यों के लोगों ने भी स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लिया था। इस क्षेत्र की स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य घटनाएँ निम्नलिखित हैं। :

  1. प्रजामंडल ने सीधे तौर पर साम्राज्य के अधीन आने वाले क्षेत्रों में ब्रिटिश दमन के विरुद्ध विरोध किया।
  2. अन्य रियासतों में 1857 की क्रांति सामाजिक और राजनितिक सुधारों के लिए आन्दोलन हुए।
  3. हालाँकि यर आन्दोलन अंग्रेजों के विरुद्ध नहीं बल्कि राजाओं के विरुद्ध थे और इसलिए ये स्वतन्त्रता संग्राम का एक हिस्सा भर थे।
  4. 1857 की क्रांति ग़दर पार्टी के प्रभाव में 1914-15 में मंडी षड्यंत्र किया गया।
  5. दिसम्बर 1914 और जनवरी 1915 में मंडी और सुकेत राज्यों में गुप चुप सभाएं हुई और
  6. यह निर्णय लिया गया की मंडी और सुकेत के अंग्रेजों के अधीक्षक और राजा के वजीर की हत्या की जाएगी।
  7. खजाने को लुट लिया जाएगा और व्यास नदी पर बने पुल को उदा दिया जाएगा।
  8. हालाँकि षड्यंत्रकारियों को पकड़ लिया गया और उन्हें लम्बे समय की सज़ा हो गयी।
  9. पझोता आन्दोलन जिसमें सिरमौर रियासत के एक भाग ने विद्रोह किया।
  10. 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन का विस्तार ही समझा जाता है।
  11. इस अवधि में राज्य से प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानियों में डॉ वाई एस परमार, पदम् देव, शिवानन्द रमौला, पूर्णानंद, सत्यदेव, सदाराम चंदेल, दौलत राम, ठाकुर हजाएर सिंह, पहाड़ी गाँधी बाबा कांशी राम शामिल थे।
  12. स्वंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस पार्टी राज्य में और विशेष रूप से काँगड़ा में सक्रीय थी।

आज़ादी के बाद का समय


1857 की क्रांति आज़ादी के बाद का समय, वर्तमान में हिमाचल प्रदेश का इतिहास इस प्रकार है :

  1. 15 अप्रैल 1948 की हिमाचल प्रदेश चीफ़ कमिश्नर के राज्यों के रूप में अस्तित्व में आया।
  2. भारतीय संविधान लागू होने के साथ 26 जनवरी 1950 को हिमाचल प्रदेश \\\’ग\\\’ श्रेणी का राज्य बन गया।
  3. 1 जुलाई 1954 को बिलासपुर हिमाचल प्रदेश में शामिल हुआ।
  4. हिमाचल प्रदेश, 1 जुलाई 1956 में केंद्रशासित प्रदेश बना।
  5. 1 नवंबर 1966 को काँगड़ा और पंजाब के अन्य पहाड़ी इलाकों को हिमाचल में मिला दिया गया।
  6. लेकिन इसका स्वरूप केंद्रशासित प्रदेश का ही रहा।
  7. संसद द्वारा दिसम्बर 1970 को हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम पास किया गया।
  8. तथा नया राज्य 25 जनवरी 1971 को अस्तित्व में आया। इस तरह हिमाचल प्रदेश भारतीय गणराज्य का 18 वां राज्य बना।
  9. तब से लेकर आज तक हिमाचल प्रदेश ने एक लम्बी यात्रा तय की है।
  10. इस प्रदेश ने अनेकों सरकारें देखी है जिसने राज्य को आर्थिक निर्भरता की ओर अग्रसर किया है।

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