1857 का विद्रोह की जड़ कहीं न कहीं ब्रिटिश औपनिवेशिक निति में निहित थी Ι औद्योगिक पूंजीवाद अथवा मुक्त अर्थव्यवस्था के चरण में ब्रिटिश द्वारा भारत में आर्थिक‚ सामाजिक और सांस्कृतिक सरंचना में व्यापक परिवर्तन लाने के विरोध में भारत के विभिन सामाजिक वर्गो की प्रतिकिरया थी Ι
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1857 का विद्रोह
- जिसे सिपाही म्यूटिनी‚ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम‚ मुस्लिम सडयंतर‚ विभिन वर्गो का सयुक्त प्रयास आदि के रूप में भी जाना जाता है।
- यह विद्रोह आकस्मिक न होकर विद्रोहों की सृंखला की एक कड़ी थी Ι
- इस विद्रोह का प्रारंभ 10 मई 1857 को मेरठ से हुई ‚ जो धीरे− धीरे कानपुर‚ बरेली‚ झांसी‚ दिल्ली‚ अवध‚ आदि स्थानों पर फैल गयी Ι
प्रमुख कारण∴
राजनितिक कारण∴
- कंपनी ने साम्राज्य विस्तार की निति के तहत मुग़ल सम्राट बहादुरशाह जफ़र सहित विभिन नवाबो को सत्ता से हटाना ‚ जिसमें डलहौजी की “व्यपगत की निति ″ मह्त्वपूर्ण थी Ι
- कुशासन के नाम पर अवध का विलय जिससे बड़ी संखया में बुद्विजीवी‚ अदिकारी और सैनिक बेरोज़गार
- रानी लक्ष्मी बाई के दत्तक पुत्र को मान्यता न देना
- नाना साहब की पेंशन बंद कर देना जिससे वे विद्रोही हो गए आदिΙ
सामाजिक और धार्मिक कारण
- कंपनी शासन के विस्तार के साथ-साथ अंग्रेज़ों ने भारतीयों के साथ दुर्वयवहार करना प्रारंभ कर दिया।
- 1883 ईस्वी के बाद ईसाई मिसनरियो की संस्थाये सम्पूर्ण भारत में स्थापित होने लगी
- भारत में तेज़ी से फैल रही पश्चिमी सभ्यता के कारण आबादी का एक बड़ा वर्ग चिंतित था।
- धार्मिक निर्योग्यता अदिनियम 1850 जिसमें ईसाई धर्म अपनाने वालो को पैतृक सम्पति का हकदार माना गया‚ इसने भारतीयों के मन में और संदेह पैदाkr दिया Ι
- ईसाई धर्म अपना लेने वाले भारतीयों की पदोन्नति कर दी जाती थी।
- इससे लोगों को यह संदेह होने लगा कि अंग्रेज़ भारतीयों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की योजना बना रहे हैं।
- सती प्रथा उन्मूलन (1829)‚ कन्या भ्रूण हत्या और हिन्दू विधवा पुनर्विवाह(1856) आदि अदिनियम भारतीयों द्वारा इन्हे अपनी सामाजिक संरचना के लिये खतरा माना गया।
- शिक्षा ग्रहण करने के पश्चिमी तरीके हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमानों की रूढ़िवादिता को सीधे चुनौती दे रहे थे।
- यहाँ तक कि रेलवे और टेलीग्राफ की शुरुआत को भी संदेह की दृष्टि से देखा गया।
आर्थिक कारण
- ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और ज़मींदार भूमि पर भारी-भरकम लगान और कर वसूली के सख्त तौर-तरीकों से परेशान थे।
- अधिक संख्या में लोग महाजनों से लिये गए कर्ज़ को चुकाने में असमर्थ थे जिसके कारण उनकी पीढ़ियों पुरानी ज़मीने हाथ से निकलती जा रही थी।
- बड़ी संख्या में सिपाही खुद किसान वर्ग से थे और वे अपने परिवार, गाँव को छोड़कर आए थे, इसलिये किसानों का गुस्सा जल्द ही सिपाहियों में भी फैल गया।
- इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के बाद ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं का प्रवेश भारत में हुआ जिसने विशेष रूप से भारत के कपड़ा उद्योग को बर्बाद कर दिया।
- भारतीय हस्तकला उद्योगों को ब्रिटेन के सस्ते मशीन निर्मित वस्तुओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा करनी पड़ी।
- रजवाड़े खत्म हो गये जिससे उनपर निर्बर कास्तकार‚ कलाकार आदि की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी Ι
सैन्य कारण
- 1857 का विद्रोह एक सिपाही विद्रोह के रूप में शुरू हुआ:
- भारत में ब्रिटिश सैनिकों के बीच भारतीय सिपाहियों का प्रतिशत 87 था,
- लेकिन उन्हें ब्रिटिश सैनिकों से निम्न श्रेणी का माना जाता था।
- सूबेदार से उंच पद न दिया जाना
- एक भारतीय सिपाही को उसी रैंक के एक यूरोपीय सिपाही से कम वेतन का भुगतान किया जाता था।
- उनसे अपने घरों से दूर क्षेत्रों में काम करने की अपेक्षा की जाती थी।
- जनरल सर्विस अहनिलस्टमैंट एक्ट (1856) जिसके तहत सिपाहियों को समुन्दर पार करने को अनिवार्य बना दिया जिसको कुछ सिपाहियों ने अपने धर्म विरुद्ध माना
परिणाम
- भारत का प्रसासन ब्रिटिश क्राउन के नियन्तण में आ गया
- सेना को पुनर्गठित किया गया और ऊँचे पद यूरोपियो के लिए रिज़र्व कर दिए गये
- स्थानीय राजाओ के अधिकार‚ गौरव व सम्मान का वादा किया गया
- साम्राज्य विस्तार की निति को समापत कर दिया गया Ι
निष्कर्ष
इस विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने इसे दबाने में सफलता प्राप्त की, लेकिन यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आग की तरह काम की और भारतीय जनता में स्वतंत्रता की भावना को जागरूक किया।
1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया और इसके बाद कई सालों तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्रोत के रूप में कार्य किया गया।