श्री नारायण गुरु जयंती हाल ही में प्रधानमंत्री ने श्री नारायण गुरु को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- श्री नारायण गुरु (1856-1928) एक श्रद्धेय भारतीय आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक थे
- जिनका जन्म केरल के चेमपज़ंथी (Chempazhanthy) में हुआ था।
- उन्होंने जाति की परवाह किये बिना समानता, शिक्षा एवं सामाजिक उत्थान का समर्थन किया।
- उनके दर्शन \\\”एक जाति, एक धर्म,
- सभी के लिये एक भगवान\\\” (ओरु जथि, ओरु माथम, ओरु दैवम, मनुष्यु) ने विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया।
- वह अद्वैत वेदांत, आदि शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित गैर-द्वैत (Non-duality) के सिद्धांत के सबसे प्रमुख समर्थकों एवं पुनर्मूल्यांकनकर्ताओं में से एक थे।
- उन्होंने श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) के संस्थापक के रूप में एक परोपकारी समाज की स्थापना की।
स्वदेशी रूप से विकसित विद्युत परमाणु ऊर्जा रिएक्टर
- गुजरात के काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना (KAPP-3) में
- स्वदेशी रूप से विकसित 700 MWe परमाणु रिएक्टर अब पूरी क्षमता के साथ काम कर रहा है।
- KAPP-3 भारत का सबसे बड़ा स्वदेशी रूप से विकसित दबायुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR) है,
- जो ईंधन के रूप में प्राकृतिक यूरेनियम और मॉडरेटर के रूप में अधिक पानी का उपयोग करता है।
- इसमें एक उन्नत सुरक्षा प्रणाली है जिसे \\\’पैसिव डेके हीट रिमूवल सिस्टम\\\’ कहा जाता है।
- श्री नारायण गुरु जयंती जो किसी भी ऑपरेटर कार्रवाई की आवश्यकता के बिना रिएक्टर कोर से
- उत्सर्जित ऊष्मा (रेडियोधर्मी क्षय के परिणामस्वरूप उत्सर्जित ऊष्मा) को हटाने में सक्षम है।
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2031 तक अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता को 7,480 MWe से बढ़ाकर 22,480 MWe तक करना है।
डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट (DSC) परियोजना
हाल ही में डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट (DSC) परियोजना का पहला जहाज़ \\\’DSC A 20\\\’ (यार्ड 325), कोलकाता (हुगली नदी) में लॉन्च किया गया था।
- वर्ष 2021 में, 5 DSC के निर्माण के लिये रक्षा मंत्रालय (MoD) और
- मेसर्स टीटागढ़ वैगन्स लिमिटेड (TWL) के बीच एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए।
- इन विशेष जहाज़ों को बंदरगाहों और तटीय जल में परिचालन तथा
- प्रशिक्षण गोताखोरी संचालन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- परियोजना का लक्ष्य वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारतीय नौसेना को सभी 5 DSC प्रदान करना है।
- उपयोग किये जाने वाले अधिकांश उपकरण स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त किये जाते हैं,
- जो उन्हें भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय की \\\”मेक इन इंडिया\\\” तथा \\\”मेक फॉर द वर्ल्ड\\\” पहल का स्रोत बनाते हैं।