भारत में रुकी हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं से संबंधित चुनौतियाँ:
- रियल एस्टेट परियोजनाओं धन की कमी:
- उच्च ब्याज दरों और सख्त ऋण मानदंडों के कारण समय पर धन की कमी।
- रियल एस्टेट बाज़ार में कम मांग से नकदी प्रवाह और राजस्व में कमी।
- निजी इक्विटी या विदेशी निवेशकों जैसे वैकल्पिक स्रोतों से धन हासिल करने में कठिनाई।
- यह परियोजना में देरी, लागत में वृद्धि, गुणवत्ता से समझौता और असंतोष का परिणाम है।
- विनियामक जटिलताएँ:
- केंद्रीय, राज्य और स्थानीय स्तरों पर विनियमों एवं अनुमोदनों की बहुलता।
- समय और लागत में वृद्धि, अनिश्चितता, मुकदमेबाज़ी और प्रवेश संबंधी बाधाएँ।
- केंद्रीय, राज्य और स्थानीय स्तरों पर विनियमों एवं अनुमोदनों की बहुलता।
कानूनी विवाद:
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- भूमि स्वामित्व और संप्रभुता को प्रभावित करने वाले सीमा विवाद।
- भूमि अधिग्रहण और मुआवज़े का हितधारकों के साथ टकराव।
- परियोजना में व्यवधान, क्षति, न्यायिक हस्तक्षेप और विश्वास संबंधी मुद्दे।
- बाज़ार में मंदी:
- आर्थिक मंदी खरीदार की क्रय शक्ति को प्रभावित करती है।
- कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण व्यवधान।
- नीतियों में परिवर्तन से बाज़ार में अनिश्चितता की स्थिति पैदा होती है।
- इसका परिणाम है कम मांग, बिना बिकी इकाइयाँ, गिरती कीमतें और कम निवेश।
आगे की राह
- रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs) और पीयर-टू-पीयर ऋण जैसे नवीन वित्तपोषण मॉडल की खोज, फंडिंग का एक वैकल्पिक स्रोत प्रदान कर सकते हैं। ये मॉडल निवेश को लोकतांत्रिक बना सकते हैं और परियोजनाओं में लगा सकते हैं।
- पर्यावरण के प्रति जागरूक खरीदारों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिये धारणीय एवं हरित भवन प्रथाओं को शामिल करना चाहिये। ये डिज़ाइन न केवल आधुनिक प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं बल्कि दीर्घकालिक लागत बचत में भी मदद करते हैं।
- रुकी हुई परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) की क्षमता का लाभ उठाया जाना चाहिये। सरकारी संस्थाओं के साथ सहयोग से हमें भूमि, अवसंरचना और नियामक सहायता तक पहुँचने में मदद मिल सकती है।
- रुकी हुई परियोजनाओं को बहुक्रियाशील स्थानों में परिवर्तित करना चाहिये। खाली इमारतों को रचनात्मक केंद्रों, सांस्कृतिक केंद्रों या सामुदायिक स्थानों में बदलना चाहिये जो बहुमुखी प्रतिभा से समृद्ध होंगी।
- ऐसे नियम सृजित करने चाहिये जो बदलती बाज़ार स्थितियों और प्रौद्योगिकियों के अनुकूल हों। यह लचीलापन उभरते रुझानों और मांगों के कारण परियोजनाओं को अप्रचलित होने से रोकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
मेन्स:प्रश्न. “सूचना प्रोद्योगिकी केंद्रों के रूप में नगरों की संवृद्धि ने रोज़गार के नए मार्ग खोल दिये हैं, परंतु साथ में नई समस्याएँ भी पैदा कर दी हैं।” उदाहरणों सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये। (2020) प्रश्न. भारत में तीव्र शहरीकरण प्रक्रिया ने जिन विभिन्न सामाजिक समस्याओं को जन्म दिया, उनकी विवेचना कीजिये। (2013) |