राजपूत काल || मुगल शासन 647 ई में हर्ष की मृत्यु के कुछ दशकों के बाद अनेक राजपूत राज्य राजस्थान और सिन्धु के मैदानों में उभरे। वे आपस में लड़ते थे और हारने वाले अपने साथियों के साथ पहाडी राज्यों की तरफ राज्यों में आश्रय लेते थे जहाँ वे छोटे छोटे राज्य बना लेते थे। ऐसे राज्यों में काँगड़ा, नूरपुर, सुकेत, मंडी, कुतेहड, बिलासपुर, नालागढ़, क्योंथल, धामी कुनिहार, बुशहर, सिरमौर आदि थे।
मुगल शासन
- उत्तरी भारत में मुस्लिम आक्रमणों से पहले इस चोटी से पहाड़ी रियासत ने अच्छे दिन देखे। राजपूत काल || मुगल शासन
- तलहटी के राज्यों को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने बार-बार तहस नहस किया।
- 10वीं सदी के आरम्भ में महमूद गजनवी ने काँगड़ा किले पर विजय प्राप्त की।
- तैमुर और सिकंदर लोदी भी निचले पहाड़ी इलाकों में आये और अनेक लड़ाईयां लड़ी और किलों पर कब्ज़ा कर लिया।
- तत्पश्चात अब मुग़ल वंश टूटने लगा तो पहाड़ी राज्यों के राजाओं ने इसका पूरा फायदा उठाया।
- काँगड़ा के कटोच शासकों ने इस मौके को भुनाया और
- महाराजा संसार चंद ने अगली आधी सदी तक काँगड़ा पर स्वतंत्रता पूर्वक शासन किया।
- वह इलाके के कुशल शासकों में से एक थे। काँगड़ा किले पर औपचारिक अधिग्रहण करने के बाद
- संसार चंद ने अपना सम्राज्य बढ़ाना शुरू कर दिया।
- चम्बा, सुकेत, बिलासपुर, गुलेर, ज्स्वा, सिवान और द्तारपुर के राज्य संसार चंद के प्रत्यक्ष नियंत्रण में आ गये।
गोरखा और सिख युद्ध
राजपूत काल || मुगल शासन लड़ाकू प्रजाति गोरखा नेपाल में सन 1768 में सत्ता में आई। उन्होंने अपनी सैनिक शक्तियाँ संग्रहित की और अपना सम्राज्य बढ़ाना शुरू किया। धीरे-धीरे गोरखाओं ने पहाड़ी राज्यों सिरमौर और शिमला पर कब्ज़ा कर लिया।
- उम्र सिंह थापा के नेत्रित्व में गोरखाओं ने काँगड़ा पर कब्जा करना शुरू कर दिया।
- उन्होंने 1806 ई में काँगड़ा के राजा संसार चंद को पहाड़ी मुखियाओं के साथ मिल कर हरा दिया।
- हालाँकि गोरखा काँगड़ा किले जो 1809 में महाराजा रणजीत सिंह के अधीन आ गया था पर कब्जा नही जमा पाए।
- इस हार के बाद गोरखाओं ने दक्षिण की तरफ बढना शुरू कर दिया।
- इसका परिणाम गोरखाओं और अंग्रेजों का युद्ध हुआ।
- तराई के क्षेत्रों में गोरखाओं का अंग्रेजों के साथ सीधा सामना हुआ जिसके बाद
- अंग्रेजों ने उन्हें पूर्वी सतलुज के पहाड़ी इलाकों से निकल बाहर किया।
- इस तरह से ब्रिटिश धीरे-धीरे इस राज्य में एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरने लगे।
अंग्रेज़ गोरखा युद्ध के बाद
राजपूत काल || मुगल शासन पंजाब और ब्रिटिश राज्य की साँझा सीमा अधिक संवेदनशील हो गयी। सिख और अंग्रेजों में से कोई भी सीधी लड़ाई नही लड़ना चाहता था, परन्तु रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद खालसा सेना ने ब्रिटिशों के साथ अनेक युद्ध किये।
- सन 1845 में जब सिखों ने सतलुज को पर कर ब्रिटिश राज्य पार आक्रमण किया तो
- कई पहाड़ी राज्यों के शासकों ने अंग्रेजों का साथ दिया क्यूंकि वे अंग्रेजों के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाने का मौका ढूढ रहे थे।
- इनमें से कई शासक अंग्रेजों के साथ गुप्तवार्ता करने लगे।
- पहले एंग्लो सिख युद्ध के बाद अंग्रेजों ने सिखों द्वारा खाली किये गये पहाड़ी राज्य उनके असली मालिकों को नहीं लौटाए।
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