भारत में शिक्षा का विकास अन्य क्षेत्र की भांति ही, भारत में शिक्षा नीतियों को भी धीरे धीरे औपनिवेशिक शासकों के विचारों और हितों के अनुरूप ढाला गया था।
प्रारम्भ में,
- ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में शिक्षा का विकास की किसी भी प्रणाली को बढ़ावा देने में रूचि नहीं दिखाई थी।
- ब्रिटिश ने भारत को तलवार के बल पर जीता था इसलिए वे विचारधारा का सहारा लेकर अपने शासन को वैद्यता दिलवाना चाहते थे इसलिए उन्होंने भारत में शिक्षा का विकास कोई मूलभूत बदलाव नहीं किया !
- ब्रिटिश आदिकारियो को भारतीय रीती रिवाज और परम्परा का ज्ञान कराना भी था ताकि वे भारतीयों को असंतुस्ट किये बिना ब्रिटिश औपनिवेशक हित में काम कर सके !
- जैसे जैसे क्षेत्रीय विस्तार हुआ वैसे वैसे कंपनी को जरूरतें बदलती गई।
- जिसके अनुसार कंपनी को अपनी नीतिओं में परिवर्तन करना पड़ा।
- सत्तारूढ़ि वर्गों के एक वर्ग को यह महसूस हुआ की अंग्रेजी शिक्षा सत्ता और प्रजा के बीच एक सम्बंद स्थापित करेगी।
- ईसाई मशीनरियों का एक अपना ही अजेंडा था की इतिहास का मिथियाकरण और देश की नई पीढ़ी को वास्तविक इतिहास से वंचित रखना क्योंकि इनका मानना था की देशी संस्कृति की तुलना में पश्चात्य संस्कृति उतकृष्ट थी, और वे चाहते थे की कम से कम भारतीय उसे आत्मसात करें।
- इस प्रकार, भारत में शैक्षिक विकास का मार्ग औपनिवेशिक शासकों के प्रशासनिक, आर्थिक, राजनैतिक और
- भारत में शिक्षा का विकास सांस्कृतिक उदेश्यों का मिश्रण द्वारा निर्देशित था।
[भारत में शिक्षा का विकास ]कंपनी शासन के अंतर्गत
प्रारम्भ 60 वर्षों तक ईस्ट इंडिया कंपनी एक विशुद्ध व्यापारिक कंपनी थी। उसका उद्देश्य, केवल व्यापार करके अधिक से अधिक लाभ कमाना था। देश में शिक्षा को प्रोत्साहित करने में उसकी कोई रूचि नहीं थी। सुरवात में ब्रिटिश कंपनी का उदेशय सिमित था इसलिए इस काल में ब्रिटिश कंपनी ने भारत में शिक्षा के परम्परागत मॉडल को ही बनाये रखने पर ही विसेस बल दिया क्योकि भारत में शिक्षा में सुधार कंपनी के औपनिवेशिक हित के अनुकूल नहीं बैठते थे !
- 1781 में वॉरेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता मदरसा की स्थापना की।
- इसका उद्देश्य, मुस्लिम कानूनों तथा इससे सबंधित अन्य विषयों की शिक्षा देना था।
- 1791 में बनारस के ब्रिटिश रेजिडेंट, जोनाथन डंकन के प्रयत्नों से बनारस में संस्कृत कॉलेज की स्थापना की गई।
- इसका उद्देश्य, हिन्दू विधि एवं दर्शन का अध्ययन करना था।
- वर्ष 1800 में लॉर्ड वेल्जली ने कंपनी के असैनिक अधिकरियों की शिक्षा के लिए फोर्ट विलयम कॉलेज की स्थापना की।
- इस कॉलेज में अधिकरियों को विभिन भारतीय तथा भारतीय रीती रिवाजों की शिक्षा भी दी जाती थी।
- कलकत्ता मदरसा एवं संस्कृत कॉलेज में शिक्षा पद्धति का ढांचा इस प्रकार तैयार किया गया था।
- जिससे कंपनी को नियमित तौरपर शिक्षित भारतीयों की प्रापति हो सकें,
- जो शास्त्रीय और स्थानीय भाषाओँ के अच्छे ज्ञाता हो तथा साथ ही कंपनी को प्रसासन में मदद कर सकें !
- 2 फरवरी 1835 में लागू मैकाले शिक्षा पद्ति जिसमे शिक्षा की भाषा अंग्रेजी और शिक्षा प्रसार हेतु विप्रेषण का सिद्धांत ( Downward filtration theory ) को स्वीकार किया गया !
सीमाये - भारत में जन शिक्षा दुस्प्रभावित हुई क्योंकि पुरानी पाठशाला टूट गयी !
- भारत में सामाजिक विभाजन को प्रोतसाहन मिला जो आज भी इंडिया और भारत के विभाजन के रूप में देखने को मिलता है !
- अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर साहित्य एव दर्शन की शिक्षा पर बल दिया गया जबकि ज्ञान विज्ञान की शिक्षा का तिरस्कार किया गया !
निष्कर्ष
अन्य क्षेत्रों की भांति ही भारत में शिक्षा की नीतिओं को भी धीरे धीरे विकसित करने के साथ बदलाव किया गया और अंग्रेजी शासकों ने अपनी शिक्षा निति की एक नीव रखी थी। परन्तु इसमें हम इसको विस्तार से आगे पढ़ेंगे जो की एग्जाम में पूछे गए प्रश्नों के आधार पर होगा। और आप एक अच्छा उत्तर लिख सकें।