ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना के बारे में बात करते समय, हम भारत के इतिहास के विभिन्न दौरों की ओर देख सकते हैं। यह संरचना ब्रिटिश पूर्वी इंडिया कंपनी के आदिकाल से लेकर भारत के भूतपूर्व मुग़ल साम्राज्य के अधीन समय तक कई चरणों में विकसित हुई।

पूर्वी इंडिया कंपनी की स्थापना (1600):

  • ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना की शुरुआत ब्रिटिश पूर्वी इंडिया कंपनी की स्थापना से हुई।
  • इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य भारत में व्यापार करना था,
  • लेकिन धीरे-धीरे इसने भारतीय राज्यों पर अपना नियंत्रण बढ़ा लिया।

भर्ती और सेना का विकास:

  • इंग्लैंड ने भारत में अपनी सेना की बनाई और भर्ती कार्यक्रमों की शुरुआत की, जिससे वे अपना प्राधिकृत्य बढ़ा सकें।

द्वितीय स्वतंत्रता संग्राम (1857-1947):

  • 1857 की विद्रोह (जिसे सिपाही मुटिनी भी कहा जाता है) के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारतीय राज को सीधे अपने नियंत्रण में लिया और
  • ब्रिटिश राज की संरचना को और भी मजबूत बनाया।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम इस समय के दौरान घटे,
  • जिसमें गांधी जी की अहिंसा आंदोलन भी शामिल था।
मॉंटेग्यू-चेलम्सफ़ॉर्ड सुधार (1919):
  • इस सुधार के द्वारा, ब्रिटिश सरकार ने भारत में स्वशासन को कुछ हद तक बढ़ा दिया
  • ब्रिटिश राज और स्थानीय सामाजिक और राजनीतिक सुधार किए।
स्वतंत्रता संग्राम के बाद का संरचना (1947):
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप, ब्रिटिश सरकार ने 1947 में भारत से अपना शासन समाप्त किया और
  • भारतीय संघ को निर्मित किया, जिससे भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बना।
इस प्रकार,

ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना भारतीय इतिहास के विभिन्न चरणों में विकसित हुई और स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप, भारत स्वतंत्र होकर एक स्वतंत्र गणराज्य बना।

ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना ब्रिटिश शासन के विकास के दौरान कई चरणों में विकसित हुई थी। यहाँ पर ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना के मुख्य पहलुओं का एक संक्षेप दिया गया है:

  1. ईस्ट इंडिया कंपनी (The East India Company): ब्रिटिश भारतीय राज की नींव ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ रखी गई थी
  2. 1600 में इंग्लैंड की एक व्यापारिक कंपनी के रूप में इसकी स्थापना हुई थी।
  3. जिसका मुख्य उद्देश्य भारत के तथा अन्य पूर्वी देशों के साथ व्यापार करना था।
  4. ब्रिटिश गवर्नर-जनरल: ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रमुख प्रतिष्ठान भारत में ब्रिटिश गवर्नर-जनरल का पद था।
  5. ब्रिटिश राज पहले गवर्नर-जनरल की प्राधिकृतिक संरचना नहीं थी।
  6. लेकिन 1773 के पास कंपनी कानून बनाने का अधिकार प्राप्त करने के बाद, पहला पूर्णकालिक ब्रिटिश गवर्नर-जनरल वारेन हैस्टिंग्स का पद बना।
  7. डीवानी और निजी सम्राट क्षेत्र: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार दो भागों में विभाजित हुई – डीवानी क्षेत्र और निजी सम्राट क्षेत्र में।
  8. डीवानी क्षेत्र में भारतीय नगरिकों की सरकारी कार्यवाहिका का प्रबंधन किया गया।
  9. निजी सम्राट क्षेत्र में ईस्ट इंडिया कंपनी का प्राधिकृतिक शासन था।
  10. द्वितीय विश्वयुद्ध (इंग्लैंड के साथ भागीदारी): द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, ब्रिटिश भारतीय सेना बड़ी मात्रा में यूरोप में युद्ध करने के लिए भेजी गई।
  11. भारतीय अर्थव्यवस्था का आदान-प्रदान स्थितिगत रूप से बदल गया और अनुभवी भारतीय नेताओं का आदान-प्रदान बढ़ गया।
  12. स्वतंत्रता संग्राम: ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम धारमिक, सामाजिक, और राजनीतिक बदलाव के बीच विकसित हुआ।
  13. इसके परिणामस्वरूप, भारत में स्वतंत्रता संग्राम की प्रक्रिया शुरू हुई और बाद में
  14. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सफलतापूर्ण समापन हुआ 1947 में, जिससे भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बना।
इस प्रकार,
  • ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना ने भारत के इतिहास को गहरी रूप से प्रभावित किया और स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा दी,
  • जिससे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रारंभिक सीढ़ियों का निर्माण हुआ।

1 thought on “ब्रिटिश राज”

Leave a comment